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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
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ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षम् ।